Tuesday, August 1, 2017

मुखिया जी और माई का लाल

                      चंद दिन पहले की ही बात है जब मुखिया जी ने सख्ती दिखाते हुए बडा भारी ऐलान किया था । मंच से ताबड़तोड़ बोलते हुए मुखिया जी ने साफ साफ कहा था कि लंबित राजस्व के प्रकरण तत्काल न निपटे तो जिले के साहब को उल्टा लटका दिया जाएगा...।
मुखिया जी के शब्दों में कठोरता थी तो चेहरे पर आरपार वाले भाव ...। मुखिया जी कई बार चेता चुके थे कि उन्होंने जो कह दिया वो फिर कोई 'माई का लाल' नही बदल सकता'...।
इधर मुखिया जी ने ऐलान किया उधर दूसरे दिन अलसुबह ही जिलों के कलेक्टर कार्यालय में मजबूत 'रस्सी' की व्यवस्था कर दी गई । पीडब्ल्यूडी के अफसरान ने तत्काल दौरा करके कलेक्टर कार्यालय की छत का निरीक्षण भी कर लिया कि साहब के लटकने का भार यह छत सह पाएगी या नही ? पीडब्ल्यूडी के अफसर भी छत की मजबूती को लेकर थोड़े डरे थे क्योंकि उनके ही देख रेख में कलेक्टर कार्यालय का 'घूस-निर्माण' हुआ था । मौका देख आनन फानन में नेताओं ने भी अपने चेलों की संविदा पर नियुक्ति करवा डाली । यह नव निर्मित पद था 'सालक' का ....। 'सालक' बोले तो 'साहब लटकाओ कर्मी' ...। खास फोन दिया गया 'सालक' को जिस पर मुखिया जी शिकायत पाते ही सीधे लटकाने का आदेश जारी करेंगे । सत्ता पक्ष से जुड़े विशेष संगठन के पदाधिकारियों ने भी तैयारियों का जायजा लेकर महाराष्ट्र के बड़े शहर को अपनी रपट भेज दी ।
कई साल से कलक्टर कार्यालय में सेवाएं दे रहा प्यून भी नही चूका । उसने भी अपने बेरोजगार बेटे के लिए स्टार्टअप प्लान कर लिया । जब 'साहब' उल्टे लटके रहेंगे तो वह चेम्बर का दरवाजा थोड़ा सा खोलकर आम लोगो को नज़ारा दिखाएगा और उसके एवज़ में 10 - 10 रुपए वसूलेगा । किसान भी खुश चलो मुखिया जी सालों बाद ही सही लालफीताशाही पर लगाम कसने वाले है । बोले तो कम से कम मप्र में तो अच्छे दिन आने वाले हैं ....।
जिले में तैनात 'साहब' लोग कई बार मुखिया जी की सख्ती का सख्तपन देख चुके थे इसलिए ऐलान को अपने दिमाग के 'लान' में आने ही नही दिया । लेकिन हो रही तैयारियों,सत्ता से जुड़े खास संगठन और किसानो की नाराजगी को ध्यान में रखते हुए अपनी एक फीसदी चिंता से 'बड़े साहब' को अवगत करा दिया ।
जिले के साहबों को तुरंत ही 'माई का लाल' मिल गया । राजधानी में बैठें बड़े साहब ने बैठक बुलाई और चाय नाश्ते के लुत्फ के बीच उस एक फीसदी चिंता को भी शांत कर दिया । मुस्कराते हुए बडे साहब ने औपचारिक हुक्म सुनाया कि दो महीनों में सारे लम्बित मसलों को निपटाया जाए । मीटिंग ओवर....मुस्कराहट ठहाके में बदल गई ।
बेचारे किसानों से लेकर प्यून के स्टार्टअप पर पानी फिर गया । 'साहब' लोग मीटिंग खत्म करके राजधानी के सबसे महंगे मॉल में दाखिल हो गए खरीददारी के लिए । मुखिया जी अभी भी राजधानी से दूर एक गांव में अपने कड़क मिज़ाज़ का भाषण पेले जा रहे हैं ।

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