Monday, August 14, 2017

आज़ादी - कहीं भगवा और हरा एक न हो जाए


आज़ादी....  लफ्ज़, जिसके पीछे छिपे है ढेरो अधिकार और चंद फ़र्ज़ ...। फ़र्ज़ तो छोड़िए वो निभाना तो हम हिंदुस्तानियों के लिए मानो सबसे बड़ा सिरदर्द है लेकिन अधिकार तो हलक से भी निकालने का हुनर रखते हैं ।
   खैर गोली मारो... फ़र्ज़ और अधिकारों को ...लेकिन कुछ सालों से देख रहा हूँ कुछ असामान्य लोग आजादी का गलत फायदा उठा रहे है । लगातार कुछ मुस्लिम लोग... कोई भी हिन्दू पर्व हो ...मेरे हिन्दू भाईयों से पहले ही पर्व की शुभकामनाएं जड़ देते है ...। नावेद खान,निशात सिद्दिकी, अब्दुल रउफ खान,जुनैद मियाँ, जुबैर,साजिद रतलाम,अनवर(आशु),तालिब मियाँ जैसे कई और मुस्लिम है जो दीवाली हो दशहरा.....होली हो या रक्षाबंधन...कोई भी त्यौहार हो । सबसे पहले मेरे फोन के इनबॉक्स में इनके शुभकामना संदेश बिलबिला जाते है । अरे मुस्लिम लोगो...आपको किसने यह आज़ादी दे दी कि आप मेरे हिन्दू भाईयों से पहले अपनी दिली मुबारक बाद मुझ तक पहुंचा दो । मेरे हिन्दू भाई है तो शुभकामना देने के लिए.....भले ही देर कर दें या फिर मेरा संदेश मिलने के बाद उन्हें याद आए...। जो भी हो वह मेरे हिन्दू भाई है ।
   कुछ हिन्दू भी आज़ादी का गलत फायदा उठाते हैं । देखो न राजेश जैन,जितेंद्र,विनय गुप्ता या फिर नितिन जैन....यह लोग ईद पर सुबह सुबह से ही तालिब मियाँ के घर मुबारक बाद देने जा पहुंचते है । अरे भैया ....तुम क्यों भूल जाते हो कि तुम हिन्दू हो.....। आज़ादी का मतलब यह थोड़ी कि मुस्लिमों को इतने प्रेम और उत्साह से मुबारक दो ....।
   वाकई इस देश में इस तरह के लोग आजादी की गलत परिभाषा गढ़ रहें है । अरे हम तो आज़ाद हैं ....एकता,प्रेम से क्या वास्ता ..। अरे हमें हक बनता है .... गाय गाय खेलने का । हमें हक बनता है बिना बुर्का के महिला को घर से न निकलने देने का ...। हमें हक बनता है नए नए मंदिर मस्ज़िद तलाशें और जमकर एक दूसरे को निशाना बनाए...। मज़ा तो फतवा फतवा खेलने में है । हमारे भाग्य विधाता,मार्गदर्शक नेताओं ने हमे जो सीख दी है वह कतई गलत नही है । आज़ाद हैं हम....। जो मर्जी वो करें...। एकता जैसे शब्द हम अपनी डिक्शनरी में क्यों रखें । धर्म सर्वोपरी....आखिर आज़ादी कहाँ जाएगी लेकिन हमने अभी भी ध्यान न दिया तो कहीं धर्म की वाट न लग जाए । ऊपर वाला तो हम पर टिका है और यदि हम एकता वेकता में उलझ गए तो कही उसका ही अस्तित्व खतरे में न पड़ जाए ।
   चलिए फिलहाल स्वतन्त्रता दिवस मनाने की औपचारिकता पूरी कर लें । अरे चलो देख लेना... यदि कोई मियाँ भाई मिल जाए तो मजबूरी में चिपका दो मुबारक़ बाद ..।
  15 अगस्त विदा होते ही नेता जी के मंशानुसार निपटते है । खैर अभी आजादी के तरानों पर झूम लिया जाए फिर 26 जनवरी तक तय मुद्दों पर आगे बढ़ेंगे
 आज़ादी....ज़िंदाबाद.......
#mp
#azadi
#independenceday
#15august

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