Wednesday, August 16, 2017

शिवराज का दरकता जादू

  वर्तमान में घोषित #नगरीयनिकाय चुनाव के परिणामों ने #भाजपा सरकार की दरकती लोकप्रियता को स्पष्ट किया है तो साथ ही भविष्य के गढ़ते नवीन राजनैतिक समीकरणों की ओर भी संकेत दिया है । आशा से परे आए परिणामों ने मुख्यमंत्री #शिवराज सिंह के धड़कनें ज़रूर बढ़ा दी होगी ।  43 नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों में 14 #कांग्रेस और 3 पर निर्दलीय ने कब्जा कर लिया । हालांकि 26 पर #बीजेपी ने दम दिखाया लेकिन शिवराज ब्रांड और सत्ता हाथ में होने के बाद भी 17 सीट हाथ से निकल गई । और सबसे बड़ी बात कि मुख्यमंत्री जी ने इन चुनावों को गंभीरता से  लेते हुए 27 सीटों पर धुआंधार प्रचार किया था लेकिन परिणाम आए तो इनमें से 13 सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है । कहा जाता था कि चुनाव में शिवराज की #सभा भर हो जाए तो सीट बीजेपी की झोली में आना लगभग तय... लेकिन लगता है कि शिवराज जी के जादू को नज़र लग गई । पहली बार शिवराज को इतना बड़ा झटका लगा | भाजपा को अब गंभीर मंथन की आवश्यकता है। अंदरखाने में मुख्यमंत्री बदलाव की कवायद और तेज़ी से शुरू हो गई है | बीजेपी के नेताओ का ही मानना है कि यदि बीजेपी फिर से सत्ता में आना चाहती है तो मुख्यमंत्री का चेहरे में भी बदलाव ज़रूरी है | 
बदले समीकरणों के बीच मुख्यमंत्री बने थे,शिवराज 
      कुछ महीने पहले ही  शिवराज ने सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकार्ड कायम किया है | सन 2003 में दस सालाना मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के काम को सिरे से खारिज करते हुए मतदाताओं ने बीजेपी के हाथ में सत्ता सौपीं | बीजेपी सरकार में पहले साध्वी उमा भारती को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली और फिर बाबूलाल गौर के हाथ में सत्ता रही | समीकरण तेज़ी से बदले और नए युवा चेहरे के तौर पर शिवराज सिंह नवंबर 2005 में मुख्यमंत्री पर काबिज हुए | सत्ता हाथ में आते ही शिवराज का जादू पूरे प्रदेश में दिखने लगा | शिवराज महिलाओं के भैया तो बच्चो के मामा बन गए | कोई भी चुनाव हो तो लगभग जीत बीजेपी के पाले में  ही होती ...| 
     शिवराज ने अपनी मुख्यमंत्री की पारी की शुरुआत तो शानदार अंदाज में की | विनम्र,सहज,सरल संवेदनशील मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज का ग्राफ एक दम आसमान छूने लगा | सफलता की ऐसी झड़ी लगी कि शिवराज के सामने दिग्गज से दिग्गज नेता शुन्य होते दिखे | शिवराज के विकल्प के रूप में दूर दूर तक कोई चेहरा नही था | लेकिन शिवराज अफसरशाही से बचे न रह पाए | डम्पर मामला,व्यापम घोटाला,उज्जैन कुम्भ जैसे कई भ्रष्ट्राचार के मामलों का सच सामने आने लगा | पार्टी के नेताओ से लेकर कार्यकर्ताओं का आक्रोश अब सार्वजनिक होने लगा है |पिछले दिनों किसान आंदोलन ने तो मानो शिवराज सरकार की सारी छवि को तार तार कर दिया |
बदलाव की आहट 
   जल्द बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष #अमित शाह भोपाल में चौपाल ज़माने वाले हैं । पहले ही कयास लगाए जा रहे थे कि चौपाल में शिवराज के विरोध में सुर गूंज सकते हैं लेकिन  नगरीय निकाय के नतीजों के बाद अब तय है बैठक में शिवराज विरोधी भारी पड़ने वाले हैं । #संघ और मोदी-शाह की टीम के द्वारा जमा की गई रिपोर्ट में भी शिवराज का ग्राफ् तंदुरुस्त नही है । वैसे भी शिवराज #मोदी-शाह की गुडबुक में सार्वजनिक तौर पर शामिल हो सकते है लेकिन "वेवलेंथ" मेच नही होती है । पहले ठोस तौर पर माना जाता था कि मप्र में बीजेपी का चेहरा शिवराज के अलावा अन्य कोई हो ही नही सकता लेकिन अब जिस तरह माहौल बना हुआ है,उसमें चेहरा कोई खास हो यह कोई मायने नही रखता । बड़ा संभव है कि जल्द शिवराज की कर्मभूमि दिल्ली बन जाए और आने वाले समय में मुख्यमंत्री निवास में आयोजित  अन्य कोई चेहरा  'दीवाली मिलन समारोह' का मेजवान हो ....।
#mpbjp
#shivrajsinghchauhan
#nagriychunav

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