Saturday, August 5, 2017

चोटी कटुवा का सरकारी इलाज

    रात जवां हो रही थी लेकिन मप्र के मुखिया जी के सरकारी निवास पर दौड़ भाग मची थी । मुखिया जी #चोटी काटे जाने की घटनाओं को लेकर काफी आहत थे । दिल द्रवित था और चिंता चरम पर | आखिरकार नर्म दिल मुखिया जी ने आनन फानन में अपने खास विश्वस्त अफसरान को तत्काल हाज़िर होने का आदेश दे दिया ।
      बड़े से हॉल में अफसरान कुर्सी पर आ जमे लेकिन मुखिया जी कुर्सी का हत्था थामे गंभीर सोच में खड़े थे । आखिरकार उनकी मुँह बोली बहनों की चोटी काटने पर कोई उतारू था ।
      मुखिया जी का पहला सवाल पुलिस के सबसे बड़े अफसर के कान से टकराया । 'कौन है,कुछ पता चला...क्यों वह,इस तरह के जघन्य अपराध को अंजाम दे रहा है'...मुखिया जी ने एक ही सांस में कई सवाल ठोंक दिए । आंखों में नींद थामे पुलिस अफसर ने सिर्फ 'न' कहकर अपना फर्ज पूरा कर दिया । परेशान मुखिया जी ने अपनी आँखों को अब अपने प्रदेश के बड़े साहब पर जमा दिया लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर न मिला ।
      मुखिया जी समझ गए मसला बड़ा है और अब दीन-हीन की तरह अपने संकटमोचक निकटस्थ करीबी अफसर को एकटक देखने लगे । छोटे साहब समझ गए कि मोर्चा सम्हालने का समय आ गया ।
      'सर,इससे पहले कि मीडिया बबाल मचाए और लोगो के बीच आपकीं 'संवेदनशील छवि' को नुकसान हो...उससे पहले जिन महिलाओं की चोटी काटी गई है उनको तत्काल 50 लाख का मुआवजा घोषित कर दीजिए' । साहब बिना पलकें झपकाए एक सांस में बोले जा रहे थे । 'सर....उस जिले के कलेक्टर के खिलाफ 'नाखुशी' ज़ाहिर करते हुए थानेदार और कुछ छोटेमोटे कर्मचारियों को निलंबित कर दीजिए...'।
       अब सांस ली साहब ने...'और सर..कल का आपका दौरा तय कर देते है । अभी सभी पेपर्स में एक एक पेज का विज्ञापन और शहर में होर्डिंग लगवा देते है । इसके अलावा सभी चैनल्स को खास पैकेज देकर आपके दौरे कार्यक्रम को लाइव करवा देते है ...। सभी कलेक्टर को बोल देते है कि कार्यक्रम स्थल पर 10 - 10 बसों में लोगो को भरकर भेजें । सर....खास टेंट और ए.सी. बगैरा भोपाल वाले ठेकेदार को लगवाने का बोल देते है ...। साहब रुकने का नाम नही ले रहे थे और मुखिया जी मंत्रमुग्ध सुने जा रहे थे ।
     'सर इस पूरे मिशन में लगभग 50 करोड़ का खर्चा होना चाहिए ....उस बजट को मैनेज करने का अभी विभाग प्रमुखों को बोल देता हूँ....। साहब समस्या का समाधान देकर अब शान्त हुए ।
       मुखिया जी चेहरे पर सुकून के भाव थे । द्रवित दिल मे अब हर्ष था । आभार वाले भाव में मुखिया जी 'साहब' को देखते हुए बोले कि बाकी तो आप काफी अनुभवी हो लेकिन विज्ञापन में मेरा फ़ोटो थोड़ा संजीदा वाला लगाना । पिछली बार किसान आंदोलन के दौरान ध्यान नही दिया था ...।
        शांत मन से मुखिया जी ने दरबार बर्खास्त किया और अंदर वाले कमरे का रुख कर लिया और साहब अपने मैनेजमेंट में जुट गए ।
     बाकी गांव में महिलाएँ डरी सहमी सिर पर कपड़ा बांधे घर के बाहर हाथों के छापे और नींबू मिर्ची लगाकर चोटी कटुआ से बचने में जुटी हैं और मर्द हाथ में डंडा थामे चौकीदारी में व्यस्त...

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