Saturday, August 19, 2017

शिवराज और शाहरुख की जन्मकुंडली की जुगलबंदी

'श' से ही शिवराज और ' श' ही शाहरुख खान । दोनों की जिंदगी को लेकर गजब संयोग है । दोनों ही अपनी मेहनत और काबलियत के बलबूते फर्श से अर्श तक पहुंचे । दोनों ने ही अपने अपने क्षेत्र में सफलता के परचम लहराए । शाहरुख फ़िल्म इंडस्ट्री के सबसे लोकप्रिय और नम्बर वन सुपर स्टार बने तो शिवराज ने राजनीति के क्षेत्र में लोकप्रियता के चरम स्तर तक पहुंच कर दिग्गज नेताओं की ज़मात में अहम स्थान बनाया ।
  अभिनेता शाहरुख खान ने अदाकारी का सफर टीव्ही सीरियल से शुरू किया और फिर जब बड़े पर्दे का रुख किया तो फिर पीछे मुड़ कर न देखा । शाहरुख की फिल्म मतलब सफलता की 100 फीसदी गारंटी । आखिरकार शाहरुख फिल्मी दुनिया के बेताज बादशाह बन गए....।
   नेता शिवराज की शुरुआत छात्र राजनीति से हुई । भाषण कला में पारंगत और सहज़,मेहनती शिवराज अपने ही दम पर सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए । संगठन में मिली विभिन्न जिम्मेदारियों को बेहतर अंजाम दिया तो सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे । शिवराज सबकी पसन्द बन गए । परिणाम यह हुआ कि अचानक बने समीकरणों के बीच शिवराज सिंह मप्र के मुख्यमंत्री बन गए । शिवराज ने कुर्सी का हत्था ऐसा पकड़ा कि अब तक के सर्वाधिक कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री हो गए ।
     दोनों की जन्म कुंडली के सितारे लगता है एक समान ही चाल चल रहे है । अब जब शिवराज की लोकप्रियता का ग्राफ किसान आंदोलन,व्यापम घोटाला,अफसरों को नियंत्रण में न रख पाने के साथ कई अन्य आरोप के चलते काफी गिरा तो इसका प्रभाव नगरीय चुनाव परिणाम में साफ दिखा । सत्ता के गलियारों से लेकर संगठन तक शिवराज के खिलाफ नाखुशी अब सार्वजनिक होने लगी है  शिवराज की विदाई को लेकर आए दिन ख़बरों का बाज़ार गर्म होता है । जानकारों के अनुसार वर्तमान हालात में शिवराज काफी कमजोर हुए हैं और आने वाला समय उनके लिए काफी कठिन साबित होगा
      तो कुछ वैसे ही शाहरुख भी कई सुपर डुपर फिल्मों का स्वाद चखने  के बाद लगातार ढाल पर हैं । दिलवाले,फैन और हाल में आई 'जब हैरी मेट सैजल' जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ दिया । फिल्मी पंडित शाहरुख को अब पिटा हुआ मोहरा कहने में भी नही चूक रहें है । थियेटर में दर्शकों का टोटा और फ़िल्म निर्माताओं की शाहरुख़ में अरूचि बिगड़ते समीकरणों की पोल खोलती हैं ।
     खैर नेता शिवराज और अभिनेता शाहरुख दोनों ही जीवन में एक बार फिर संघर्ष के दौर में हैं और अपने अपने मुकाम को बचाने के जुगत में जुटे है लेकिन "उफ्फ यह" किस्मत किसका कितना साथ देती है,यह तो भविष्य के गर्भ में है ।

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