Monday, July 24, 2017

प्रदेश कांग्रेस कार्यालय और चूहों का सुरक्षित ठिकाना

                                  शहर के  चूहों की चुहलबाजी बंद थी | परेशान कि रहने का कोई सुरक्षित ठौर ठिकाना न था | बैठक हुई ठिकाने को लेकर | बुजुर्ग चूहें सोच सोच कर हालाकान लेकिन हल न था | तभी आवारा छिछोरे टाइप चूहे ने बिन मांगी सलाह देते हुए चलती बैठक में अपनी भी मौजूदगी दर्ज करा दी | चूहे ने दमदार आवाज में कहा कि उसके पास एक जगह है जो बीते तीन साल से सुनसान और उजाड़ हालत में है और अगले एक साल तक भी रौनक की कोई आशा नही |  

   बूढ़े चूहे चौंक गए | सवाल आता उससे पहले ही गर्व से सीना फुलाते हुए जवान चूहे ने जबाब भी सभा की ओर उछाल दिया ..’प्रदेश कांग्रेस कार्यालय’ | बुजुर्ग चूहे सन्न रह गए | वाकई छिछोरे ने छक्का मार दिया | लोकसभा चुनाव के बाद यह कार्यालय कभी कभार ही रोशन हुआ वर्ना ज्यादातर तो दीवारें आपस में ही बतियाती रहती हैं |

  तभी एक बुजुर्ग चूहे ने सवाल दे मारा | सुना है दिग्गी राजा मैदान में उतरने वाले है तो ज़ाहिर है फिर हमें जगह बदलनी पड़ सकती हैं | उत्तर आया जवान चूहे की तरफ से ‘देखते जाओ ..सब आएंगे लेकिन अपनों के द्वारा ही लौटा भी दिए जाएंगे | मुख्यमंत्री की कुर्सी का अरमान सब पाले है | एकाधिकार की मंशा चरम पर है | हालात यह है कि अपना दही जमे या या न जमे लेकिन दूसरे का तैयार रायता ज़रूर फैलना चाहिए’ |

    जवानी से भरपूर चूहा आज तो लग रहा था कि थमेगा नही पूरा ज्ञान उंडेल देगा | खैर चूहे ने ज्ञान को आगे बढाते हुए कहा ‘भैया इनसे न हो पाएगा ....अब आप ही देखो जितनी दिशाएं उतने गुट | हार के बाद भी जीत हो या न हो लेकिन सामने वाला गुट आगे न आ पाए’ | चूहे ने पहलू  बदलते हुए अपनी बात को ज़ारी रखा ..’कोई भी महारथी टिक पाया ?...जिनको पार्टी की जिम्मेदारी मिली है वो ‘गुलचुप’ ...मतलब की होना या न होना बराबर | चुनाव की आहट के साथ छिंदवाडा के अरमान जागे लेकिन दिल्ली और नेशनल हाइवे से लगे क्षेत्रों ने ही हवा निकाल दी | केंद्र में बेराजगार होने के बाद महाराजा साहब के अरमान जागे थे लेकिन क्या हुआ चंद दिन में ही अपनी रियासत की ओर कूच कर गए | अब राजा साहब फिर अपने बीते दिनों का सपना लिए वापिसी करने का तानाबाना बन रहें है लेकिन दूसरे गुटों ने उस सपने में दखल देने की तैयारी भी कर ली होगी | और इन सबसे परे ‘पप्पू’ का ‘चप्पू’ भी चुनावी नैया को पार लगाने का काम संजीदगी से न कर पाया |

      जवान चूहा बोले जा रहा था लेकिन अब उसका स्वर गंभीर हो चुका था ...’स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है कि मजबूत विपक्ष हो’ लेकिन मप्र में तो लगता है कि विपक्ष को बजाय सत्ता पक्ष को नियंत्रित करने के आपस में ही लंगड़ी फ़साने में ज्यादा आनंद आता है | सरकार बेकाबू लेकिन आम मतदाताओ के पास विकल्प ही नहीं है | यह बिडम्बना है ...’

   खैर छोडो ..अब चूहे की आवाज में भरोसा था | देखो,चुनाव को अभी समय है तब तक यहाँ कोई नहीं झाँकने वाला | सब अपने अपने इलाकों में ‘रायता फैलाओ,प्रतियोगिता में व्यस्त रहेंगें | अब यह कार्यालय चुनाव में ही रोशन होगा तब तक के लिए हमारे सबसे सुरक्षित जगह यही है |

  आज छिछोरे और आवारा चूहे की सलाह और तर्क शक्ति के आगे सब बौने पड़ गए | सबको यह विकल्प बहुत भा गया | खुश खुश चूहे अपने सुरक्षित ठिकाने की ओर कूच करने लगे

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