Friday, July 21, 2017

मुखिया जी का ज्योतिष प्रेम

                   बड़ी झील से सटे पहाड़ी पर मौजूद एक बंगला । अलसुबह यह शानदार बंगला तो शांति पकड़े था लेकिन बंगले में मौजूद सेवादारों के चेहरे पर तनाव साफ साफ कबड्डी खेल रहा था । सबसे ज्यादा हैरान परेशान टेलीफोन ऑपरेटर था । बेचारगी के भाव से उसकी उंगलियां फोन पर चस्पा नम्बरों पर बार बार कूद रही थी लेकिन शायद इस मेहनत मशक्कत के बाबजूद वह मिले लक्ष्य को हासिल नही कर पा रहा था । भुनभुनाते हुए बोला "क्या यार रोज़ का यही पंगा" । टेलीफोन ऑपरेटर की भुनभुनाहट सेवादारों के कान में भी जगह बना गई । एक सेवादार ने भी ऑपरेटर के सुर में सुर मिलाया । "सही है यार,इस पंडित से कई बार बोला कि सुबह फोन पर ही रहा कर लेकिन रोज़ की उसकी यही नौटँकी है । बौखलाहट,भुनभुनाहट,तनाव का माहौल चरम पर था कि अचानक फोन की घण्टी खनखना उठी । गजब चमक थी फोन ऑपरेटर के चेहरे पर । भाव ऐसे कि भाई ने अभी अभी पाक को परास्त कर दिया हो । ऑपरेटर चीखता हुआ सा बोला "जल्दी आओ,पण्डित का फोन..." । घोषणा खत्म भी न हो पाई थी फोन का रिसीवर छीनकर मुख्य सेवादार बरस पड़ा "पण्डित घर बैठा के दम लोगे क्या ? छत्तीस दफा कह चुके है कि रोज़ सुबह पहले ‘’मुखिया जी " से बात कर लो फिर कुछ और करो । "तो साहब क्या 'नित्यकर्म' भी न करूँ, सुबह से तो आप लोग पकड़ लेते ...." । पंडित की बात विराम लेती उससे पहले से सेवादार ने रोक दिया "चलो छोड़ो सब, पहले मुखिया जी से बात करो" । तनाव बाहर का ही मेहमान न था बल्कि अंदर कमरे में मुखिया जी के साथ भी मौजूद था । पण्डित के इंतज़ार में मुखिया जी पहलू बदल बदल के सोफ़े पर बिछे कपड़े पर सैकड़ों सिकडुन पैदा कर चुके थे । 
"जय राम जी की पण्डित जी" आए हुए फोन पर मुखिया जी ने जबाब दिया । तो पंडित जी आज क्या बोल रहे हैं ग्रह नक्षत्र ? पण्डित के पास जबाब तैयार था ‘यजमान आज की पहली बैठक 11 बजे से रखना है’। यजमान दिल्ली थोड़ा परेशान कर सकती है लेकिन अनुष्ठान जारी है और "माह हो या फिर गोदी" फिलहाल कुछ न कर पाएंगे । और हां यजमान जो पुराना अनुष्ठान था वो समाप्त कर दूं क्योंकि काम तो हो ही गया या फिर सुप्रीमकोर्ट के मसले के बाद ? .... मुखिया जी ने चुप्पी तोड़ी ‘पण्डित जी दिल्ली पर नज़र रखो’। दो तीन अनुष्ठान करवा दो कुछ भी हो बाजी अपने ही पाले में रहना चाहिए । और "वो" वाला अनुष्ठान फैसले तक चलने दो । मुखिया जी ने राहत की सांस ली और फोन को शांत होने की अनुमति दे दी । तभी पत्नी कमरे के अंदर प्रवेश करते हुए बोली "सूख के छुआरा हो रहे हो,मत करो चिंता बीते 12 सालों में कोई कुछ कर पाया " । आप तो राजयोग लेकर आए हो और बाकी सब पंडित जी पर छोड़ दो । 
क्या गलत है । मुखिया जी का सुखद अनुभव रहा है | देखो क्या बढ़िया समीकरण बैठे कि सिर पर अचानक ही पके आम की तरह " मुखिया का ताज" आ जमा । कई कद्दावरों ने "कुर्सी की कसक" दिखाई लेकिन ग्रह नक्षत्र,अनुष्ठान से ऐसा सबक सिखाया कि भाई लोग कही के न रहे । "माह - गोदी" सब पर कितने भारी हो लेकिन साहब की किस्मत के आगे तो "लल्ला लल्ला लोरी " गा उठते है ।
मुखिया जी ने तय कर लिया है कि अब उनके साथ साथ आम जन के बीच भी ज्योतिष को बढ़ावा दिया जाएगा | पहला फरमान भी जारी हो गया है कि अब डॉक्टर बाबू के साथ सरकारी अस्पतालों में "ज्योतिषाचार्य" भी बैठेंगे । ज्योतिषाचार्य कैंसर से लेकर नजला ज़ुकाम तक का इलाज अब "बुध,गुरु,शनि करेंगे । न दवा की ज़रूरत और न सर्जरी । अब तो अंगूठी,नींबू-मिर्च',रत्न,अनुष्ठान से सब मंगल होगा । ज्योतिषियों की कमी न पड़ जाए इसलिए इस विधा को पाठ्यक्रम में शामिल करने के साथ डिप्लोमा कोर्स भी शुरू करवा दिए हैं । अब चाय,पान की तरह ज्योतिष केंद्र हर जगह उपलब्ध होंगे । 
शुभ मुहूर्त आ चुका था जब साहब को देहरी पार करना था । साहब अपने कमरे से निकले और मुख्य द्वार पर नज़रें जमा दी । नीबू- मिर्ची ताज़े ताज़े लगे मुस्करा रहे थे । साहब ने तसल्ली की और मंत्र बुदबुदाते सरकारी गाड़ी में जा जमे । चालक ने भी स्टेयरिंग को प्रणाम करते हुए गाड़ी को मंजिल की ओर बढ़ा दिया । साहब थोड़ी जल्दी में थे । जल्दी जल्दी सारे काम मुहूर्त में जो निपटाने थे .....।

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